द्विज वेद पढ़ें, सुविचार बढ़ें, बल पाय चढ़ें नित ऊपर को |
अविरुद्ध रहें, ऋजु पंथ गहें, परिवार कहें वसुधा भर को ||
ध्रुव धर्म धरें, पर दुःख हरें, तन त्याग तरें भवसागर को |
दिन फेर पिता, वर दे सविता, हम आर्य करें भू मंडल को ||
अविरुद्ध रहें, ऋजु पंथ गहें, परिवार कहें वसुधा भर को ||
ध्रुव धर्म धरें, पर दुःख हरें, तन त्याग तरें भवसागर को |
दिन फेर पिता, वर दे सविता, हम आर्य करें भू मंडल को ||