Wednesday, September 28, 2011

नाग पंचमी | कक्षा-4, पाठ-18

नाग पंचमी
कक्षा-4, पाठ-18



सूरज उगते ही भोर हुआ, लाठी लेझिम का शोर हुआ 

यह नाग पंचमी झम्मक झम, यह ढोल-ढमाका ढम्मक ढम।
मल्लों की जब टोली निकली, यह चर्चा फैली गली-गली।
दंगल हो रहा अखाड़े में, चंदन चाचा के बाड़े में॥

सुन समाचार दुनिया धाई, थी रेलपेल आवाजाई।
यह पहलवान अम्बाले का, यह पहलवान पटियाले का।
ये दोनों दूर विदेशों में, लड़ आए हैं परदेशों में।
उतरेंगे आज अखाड़े में, चंदन चाचा के बाड़े में॥

वे गौर सलोने रंग लिये, अरमान विजय का संग लिये।
कुछ हंसते से मुसकाते से, मूछों पर ताव जमाते से।
जब मांसपेशियां बल खातीं, तन पर मछलियां उछल आतीं।
थी भारी भीड़ अखाड़े में, चंदन चाचा के बाड़े में॥

यह कुश्ती एक अजब रंग की, यह कुश्ती एक गजब ढंग की।
देखो देखो ये मचा शोर, ये उठा पटक ये लगा जोर।
यह दांव लगाया जब डट कर, वह साफ बचा तिरछा कट कर।
जब यहां लगी टंगड़ी अंटी, बज गई वहां घन-घन घंटी।
भगदड़ सी मची अखाड़े में, चंदन चाचा के बाड़े में॥

Tuesday, September 27, 2011

Deven Verma v/s Shopkeeper [Angoor]

Deven Verma v/s Shopkeeper [Angoor]

देवेन १: यह रस्सी कितने की है
दुकानदार: क्या करनी है
देवेन १: खुदखुशी करनी है
दुकानदार: ठहरो  दूसरी देता हु, मजबूत भी है सस्ती भी है, ज्यादा करके लोग यही वापरते हैं
देवेन १: क्या दाम है इसका
दुकानदार: दो रुपया
देवेन १: डेढ़ रूपये में दो ना
दुकानदार: लाओ दूसरा दुकान देखो... साला मरते मरते अट्ठन्नी बचाना चाहता  है
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दुकानदार: सुन इधर आ, एक बात  बताओ आदमी  मरते मरते आठंनी बचा के क्या करेगा?
देवेन २: क्या मतलब
दुकानदार: देख, यह रस्सी 2 रूपये  की  है, तुझे खुदखुशी करनी  है... यह 2 की हुए  डेढ़ की हुए  तुझे  क्या फरक पड़ने वाला है ?
देवेन २: कुछ नहीं
दुकानदार: आठाने  बचाएगा , कुछ मिलेगा?
देवेन २: जब  जिंदगी चली गई, तो आठ आने बचा के क्या फायदा ?
दुकानदार: चल यार डेढ़ रुपया दे दे
देवेन २: किस बात के?
दुकानदार: रस्सी के
देवेन २: इस रस्सी को मैं क्या करूँगा?
दुकानदार: खुदखुशी नहीं करनी है?
देवेन २: पागल है, खामखा फसाना चाहता है... यह ले चने खा
दुकानदार: खाली दे  के गया साला...