Tuesday, September 27, 2011

Deven Verma v/s Shopkeeper [Angoor]

Deven Verma v/s Shopkeeper [Angoor]

देवेन १: यह रस्सी कितने की है
दुकानदार: क्या करनी है
देवेन १: खुदखुशी करनी है
दुकानदार: ठहरो  दूसरी देता हु, मजबूत भी है सस्ती भी है, ज्यादा करके लोग यही वापरते हैं
देवेन १: क्या दाम है इसका
दुकानदार: दो रुपया
देवेन १: डेढ़ रूपये में दो ना
दुकानदार: लाओ दूसरा दुकान देखो... साला मरते मरते अट्ठन्नी बचाना चाहता  है
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दुकानदार: सुन इधर आ, एक बात  बताओ आदमी  मरते मरते आठंनी बचा के क्या करेगा?
देवेन २: क्या मतलब
दुकानदार: देख, यह रस्सी 2 रूपये  की  है, तुझे खुदखुशी करनी  है... यह 2 की हुए  डेढ़ की हुए  तुझे  क्या फरक पड़ने वाला है ?
देवेन २: कुछ नहीं
दुकानदार: आठाने  बचाएगा , कुछ मिलेगा?
देवेन २: जब  जिंदगी चली गई, तो आठ आने बचा के क्या फायदा ?
दुकानदार: चल यार डेढ़ रुपया दे दे
देवेन २: किस बात के?
दुकानदार: रस्सी के
देवेन २: इस रस्सी को मैं क्या करूँगा?
दुकानदार: खुदखुशी नहीं करनी है?
देवेन २: पागल है, खामखा फसाना चाहता है... यह ले चने खा
दुकानदार: खाली दे  के गया साला...

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